भाषण

ग्लोबल हाई टेबल: दुनिया में भारत की स्थिति

भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन द्वारा शनिवार 14 मार्च 2015 को दिल्ली में हुए इंडिया टुडे कॉनक्लेव के दौरान दिए भाषण की लिखित प्रतिलिपि।

यह 2010 to 2015 Conservative and Liberal Democrat coalition government के तहत प्रकाशित किया गया था
Sir James Bevan

गांधी प्रतिमा: ब्रिटेन/भारत संबंध

शुरुआत मैं महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने से करना चाहता हूं। इस सुबह लंदन में हमारे प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में अन्य गणमान्य लोगों को उस महापुरुष की नई प्रतिमा के अनावरण के लिए ले जाया जाएगा।

गांधी प्रतिमा को ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित स्थान, लंदन की हृदयस्थली पार्लियामेंट स्क्वायर में स्थापित किया जाएगा। आज गांधीजी की प्रतिमा विश्व इतिहास के दिग्गजों के साथ खड़ी हो जाएगी, जिनमें शामिल हैं नेल्सन मंडेला और अब्राहम लिंकन।

यह ऐतिहासिक क्षण है- जो शायद बहुत पहले होना चाहिए था। आज ब्रिटेन ने आखिरकार उस महान हस्ती को सम्मानित किया है जिसने ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लेकर उसे परास्त किया और भारत को स्वतंत्रता के पथ पर अग्रसर किया।

एक बार गांधीजी से पूछा गया था कि ब्रिटिश सभ्यता के बारे में उनके क्या विचार हैं। उन्होंने कहा था कि यह एक बढ़िया विचार है। मुझे लगता है आज वह हम पर मुस्कुरा रहे हैं।

मैंने शुरुआत गांधीजी से केवल इसलिए नहीं की क्योंकि आज का दिन ब्रिटेन और भारत के लिए एक विशेष दिन है, बल्कि इसलिए कि उनके मूल्य उनके जीवन काल की तुलना में आज अधिक प्रासंगिक हैं। गांधीजी के मूल्य 바카라 사이트 अहिंसा, लोकतंत्र, सहिष्णुता, मानवाधिकार, सत्यनिष्ठा आज दुनिया भर में संकटग्रस्त हैं।

दुनिया की हालत

ब्रिटिश उच्चायुक्त आम तौर पर लियोन ट्रॉटस्की का उद्धरण नहीं दिया करते। हमारी राजनयिक सेवा में आम तौर पर इसे प्रोत्साहित नहीं किया जाता। लेकिन ट्रॉटस्की ने एक ऐसी बात कही थी जो सत्य भी थी और जोरदार भी। उन्होंने कहा था, 바카라 사이트आपकी दिलचस्पी युद्ध में नहीं भी हो, लेकिन युद्ध की दिलचस्पी आपमें अवश्य हो सकती है바카라 사이트।

और 2015 में युद्ध की दिलचस्पी हममें हो रही है। आज हम जिस सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं वह है वैश्विक आतंकवाद। कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है- ब्रिटेन और भारत तथा आज यहां जिन देशों का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है- वे सब अपने कड़वे अनुभवों से जानते हैं।

हमें सिर्फ ऐसे आतंक की ही चिंता नहीं करनी है जो राज्य व्यवस्था द्वारा प्रायोजित नहीं हैं। बल्कि पारंपरिक देश भी, जो अपारंपरिक युद्ध संचालित करते हैं, हमारे हितों को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसा उदाहरण हमने यूरोप में देखा है जहां यूक्रेन की सीमाओं को बलपूर्वक बदलने की कोशिश की गई। यह एक अत्यंत खतरनाक मिसाल है जिसे हममें से कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता।

इस खतरनाक दशक में हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं वह केवल सैन्य प्रकृति वाले ही नहीं हैं, बल्कि इसमें जलवायु परिवर्तन या ईबोला जैसी वैश्विक महामारी भी शामिल है, जो किसी प्रत्यक्ष युद्ध या आतंकी हमले से अधिक जानलेवा हैं।

लेकिन, देवियो और सज्जनो मैं आशावादी हूं और मुझे एक प्रामाणिक आशावादिता के बारे में सोचना पसंद है।

हालांकि यह सच है कि दुनिया आज से बीस साल पहले की तुलना में अधिक खतरनाक दिखती है, हमें कुछ ऐतिहासिक संदर्भ ध्यान में रखना चाहिए। 21वीं सदी के बारे में बड़ा तथ्य यह है कि लगभग इस दुनिया के सभी लोगों के लिए उनके आज का अपना जीवन उनके पूर्वजों के जीवन की तुलना में अधिक बेहतर हुआ है, और आने वाले दिनों में उनके बच्चों का जीवन और भी बेहतर होगा।

हम मनुष्य आज पहले की तुलना में अधिक स्वस्थ हैं। हमें बेहतर पोषण प्राप्त है। पहले की तुलना में प्रसूति के दौरान माताओं की मृत्यु कम होती है और बचपन में कम बच्चे मरते हैं। हम पहले की तुलना में अधिक लंबी आयु जीते हैं। एक औसत आदमी अब 50 साल पहले की तुलना में वास्तविक रूप से तीन गुना कमाता है।

पहली की तुलना में हमें अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है। अनौपनिवेशीकरण के बड़े दौर और यूरोप में सर्वसत्तावादी राज्यों के पतन के बाद 20वीं सदी में लोकतंत्र का दायरा निरंतर बढ़ता गया है। आज हममें से अधिकतर यह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं कि वे कहां रहें, क्या पढ़ाई करें, कौन सा व्यवसाय करें, दुकानों में क्या खरीदें, किससे विवाह करें, बच्चे पैदा करें या नहीं, कौन से कपड़े पहने, अपने अवकाश के समय क्या करें।

हालांकि, अब भी लंबी दूरी तय करनी है, महिलाओं के लिए दुनिया लगातार बेहतर बन रही है। हमारी जानकारी पहले की तुलना में अधिक विस्तृत हो गयी है और ज्ञान अधिक लोगों के लिए सुलभ है। आपका मोबाइल फोन दस साल पहले दुनिया भर की सरकारों के पास उपलब्ध जानकारी की तुलना में आज अधिक जानकारी उपलब्ध कराता है।

कुल मिलाकर, जीवन 2015 में अधिक बेहतर हुआ है। हम पहले से अधिक अमीर, अधिक स्वस्थ, अधिक लंबे, अधिक बुद्धिमान, दीर्घायु, अधिक जानकार, अधिक सुरक्षित और अधिक स्वतंत्र हुए हैं।

इन सबमें भारत का स्थान

तो इस तरह हमारी दुनिया जटिल है, शानदार अवसरों से भरी होने के साथ-साथ भयानक चुनौतियों से भरी हुई भी। ऐसी दुनिया में भारत का क्या स्थान है?

एक शब्द में मेरा उत्तर है: बेहद जरूरी। आज हमारे द्वारा सामना की जा रही सभी प्रमुख चुनौतियों के समाधान का भारत एक हिस्सा है या हो सकता है।

  • आतंकवाद: ब्रिटेन, भारत और वे सभी देश जिनका आज यहां प्रतिनिधित्व किया जा रहा है एक ही प्रकार के खतरे से जूझ रहे हैं: भारत की सड़कों और हमारी खुद की सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए हम भारत के साथ मिलकर घनिष्ठता से काम कर रहे हैं।

  • अस्थिरता: अफगानिस्तान में, उस देश के पुनर्निर्माण और उसके दीर्घकालीन भविष्य को संवारने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। दरअसल भारत के स्वयं की स्थिरता इस उथल-पुथल भरे क्षेत्र में व्यापक स्थिरता के लिए प्रबल संभावनाओं की रचना करती है।

  • समृद्धि: विकसित होती भारतीय अर्थव्यवस्था से वैश्विक प्रगति और विकास लाने में मदद मिलेगी।

  • जलवायु परिवर्तन : प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में हरित विकास का जैसा मॉडल शुरू किया, उससे चाहे तो पूरी दुनिया कुछ न कुछ सीख सकती है और दिसंबर में पेरिस में होने वले वैश्विक जलवायु परिवर्तन समझौते के रास्ते की रुकावटों को दूर करने में भारतीय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

  • संघर्ष: दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में भारत की अग्रणी भूमिका संघर्षों को आरंभ होने से रोकने तथा पुराने संघर्षों को दोबारा छिड़ने से रोकने में मददगार रही है।

  • ज्ञान: भारत में दुनिया के प्रतिभाशाली वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं 바카라 사이트 दुनिया के समक्ष ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल भारतीय नहीं ढूंढ सकते।

संक्षेप में कहें, तो दुनिया में एक मजबूत भारत की सक्रियता मेरे खुद के देश सहित हर किसी के हित में है।

यही कारण है कि इस महान देश में व्यापक परिवर्तन लाने और इसकी पूरी क्षमताओं को विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के अभियान का ब्रिटेन समर्थन करता है। यही कारण है कि संरा. सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग का ब्रिटेन समर्थन करता है। और क्योंकि मेरा मानना है भारत 21वीं शताब्दी में बहुत तरक्की करेगा, इसी कारण हम सब आने वाले दिनों की ओर बड़े आत्मविश्वास के साथ देख सकते हैं।

निष्कर्ष: तीन पूर्वानुमान

आयोजकों ने हमसे हमारी टिपण्णियों को एक पूर्वानुमान के साथ खत्म करने कहा। भविष्य के बारे में अनुमान लगाने का काम केवल नासमझ ही करते हैं। 1949 में अमेरिकी पत्रिका पॉप्युलर मेकैनिक्स ने यह दुस्साहसिक पूर्वानुमान किया था कि 바카라 사이트निकट भविष्य में कंप्यूटर का वजन 1.5 टन से अधिक नहीं होगा바카라 사이트। 1962 में ब्रिटिश म्यूजिक कंपनी डेका रिकॉर्ड्स ने एक युवा पॉप समूह से कहा था कि वे उन्हें रिकॉर्ड कॉन्ट्रैक्ट नहीं दे सकते क्योंकि 바카라 사이트गिटार संगीत के दिन लदने वाले हैं바카라 사이트। बीटल्स को एक अधिक स्मार्ट रिकॉर्ड लेबल मिला।

लेकिन मुझे चुनौती स्वीकार करने दीजिए और मैं तीन पूर्वानुमान के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं। 2020 तक भारत अधिक मजबूत होगा; भारत का ब्रिटेन के साथ और उन सभी देशों के साथ, जिनके प्रतिनिधि यहां मौजूद हैं, अधिक घनिष्ठ संबंध होगा; और परिणामस्वरूप हमारी दुनिया और भी अधिक बेहतर बनेगी।

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प्रकाशित 14 मार्च 2015