प्रथम विश्व युद्ध में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित भरतीय वीर बदलू सिंह
प्रथम विश्वयुद्ध में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित भरतीय बदलू सिंह की कहानी।

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प्रथम विश्वयुद्ध में भरत के 6 वीरों को ब्रिटेन के सर्वोच्च वीरता सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। वार्षिक स्मरणोत्सव के रूप में ब्रिटेन के लोगों ने उन वीरों के नाम वाले कांस्य स्मरण पट्टिका उनके मूल देश को भेंट कर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की। यह पुरालेख उनकी गाथा सुनाता है।
नाम: बदलू सिंह
जन्म: 13 जनवरी 1876
जन्म स्थान: धकला, पंजाब, भरत
युद्ध की तारीख: 23 सितंबर 1918
युद्ध का स्थान: केएच. एस समारिए, फिलिस्तीन
रैंक: रिसालदार
रेजिमेंट: 14वीं मुर्रेज जाट लैंसर
बदलू सिंह एक हिंदू जाट थे, जिनका जन्म 13 जनवरी 1876 को भरत में पंजाब के धकला में हुआ था। वह भरतीय थलसेना के 29वीं लैंसर से संबंद्ध 14वी मुर्रेज जाट लैंसर में रिसालदार थे जिन्हें फिलिस्तीन में लड़ने से पहले फ्रांस भेजा गया था।
रिसालदार बदलू सिंह को 23 सितंबर 1918 को जॉर्डन नदी के तट पर उनकी अप्रतिम वीरता और आत्मोत्सर्ग के लिए मरणोपरांत विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। लंदन गजट के उनकी प्रशस्ति में उनके साहस का विवरण है:
23 सितंबर 1918 की सुबह उनके स्क्वॉड्रन ने जॉर्डन नदी के तट पर नदी और Kh. es समरिए गांव के बीच स्थित दुश्मन के एक मजबूत ठिकाने पर हमला बोला। चौकी के निकट पहुंचने पर रिसालदार बदलू सिंह ने पाया कि स्क्वाड्रन को जिससे क्षति पहुंच रही थी वह मशीन गन और 200 इनफैंट्री के कब्जे वाले बाईं तरफ की छोटी पहाड़ी से होने वाले हमले थे। बिना थोड़ी भी झिझक दिखाए उन्होंने छह अन्य सिपाहियों को लेकर पूरी गति के साथ, बिना सामने के खतरे की परवाह किए हमला बोल दिया और ठिकाने पर कब्जा किया, जिस कारण स्क्वाड्रन भारी क्षति का शिकार बनने से बच गया। पहाड़ी की चोटी पर वह उस वक्त गंभीर रूप से घायल हुए जब वह एक हाथ से एक मशीनगन पर कब्जा कर रहे थे, लेकिन उनके वीरगति को प्राप्त होने से पहले सारे मशीनगन और इनफैंट्री ने समर्पण कर दिया। उनकी वीरता और उनके प्रयास उच्च कोटि के और वीरतापूर्ण थे।
बदलू सिंह की अंतिम क्रिया वहीं कर दी गई, जहां वह गिरे थे, लेकिन उनके नाम को कैरो स्थित हेलियोपोलिस वार सेमेट्री में हेलियोपोलिस मेमोरियल पर अंकित किया गया। उनका विक्टोरिया क्रॉस इम्पीरियल वार म्यूजियम में लॉर्ड ऐशक्रॉफ्ट संग्रह का अंग है।